कर ऐसा एकहि सही वार
की दुश्मन हो जाए ठार ----

ना उठा बारबार तलवार
ना कर बारबार ललकार
ना दिखा मानवता बेकार
ना कर दुश्मन से करार
कर ऐसा एकहि सही वार
की दुश्मन हो जाए ठार ----

क्यों बार बार जीतेजी मर रहा
क्यों रोज दुखी  आहटे भर रहा
क्यों पचड़े में पड़ा है शांति के
जब ब्राह्मण अधर्म  सता रहा
तब उठ जा , जाग जा यार
कर ऐसा एक ही सही वार
की दुश्मन हो जाए ठार ------

ना मरद  ना बन , ना भिकारी
तू यहाँ के सबका  अधिकारी
क्यों नहीं बताया, जान नादान
तू तो है मूल भारतीय , नेटिव
कानूनन यहाँ का आदिवासी
प्रथम हिन्दू , आद्य हिंदुस्तानी
ना मंजूर कर ब्रह्मिनी मनमानी
उठा तेरा तीरकमान लक्ष्य लगा
शिव का त्रिशूल जगा,डमरू बजा
नेटिविज़्म विश्व  का त्रिनेत्र खोल
हर हर महादेव बम बम भोले बोल
तीर लगा दुश्मन की खोपड़ी खोल
कर ऐसा एक ही आदिवासी वार
की दुश्मन हो जाए ठार -------

#जनसेनानी  कल्याण ५ ओक्टोबर २०१८    

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