ऐसे कहने वाले ही महान कहलाते है

दो घुट गंदे तालाब के पानी के
क्या भर गये मुँह में तुर्रम हो गए
जलाये दो पन्ने मनुस्मृति के
और लोगो ने माना खुर्रम हो गए ---

वो तो अच्छे अग्रेजों का राज था
कानून से चलता था कामकाज था
न्याय की वेवस्था थी न्यायी थे
काला राम मंदिर का क्या हालात था ----

बुलाये, लिखवाये पंडितवादी संविधान
जब चाहा मनसे लिखे हिन्दू कोड कानून
कर दिया उनसे तुरंत वही किनारा
बताया नहीं है ये हिन्दू धर्म हमारा ----

तब भाग कर अपनाया बुद्ध धरम
वही फूटे इनके रहे सहे करम
कहने लगे ब्राहमिनिस्म बुरा
विदेशी यूरेसियन ब्राह्मण भला -----

कहते है डिग्रियां संसोधन किये
और खोज कर दुनिया की किताबे
लाये वही ढाक के तीन पात
जाती पर आरक्षण और जातिवाद -----

उठते बैठते ब्राह्मण की लात खाते है
फिर भी गुणगान उन्ही का गाते है
कहते है रोटी बेटी से छूटेगी समश्या
ऐसे कहने वाले ही महान कहलाते है ----

#जनसेनानी #Jansenani कल्याण ९ सितम्बर , २०१८

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