विदर्भ :

यह विदर्भ वाले किसान बड़े भोले और नादान होते है
जरा से कर्ज पर बेजार होकर आत्महत्या कर जाते है
नहीं जानते है वे वहासे कम्बल और आंध्रा के नक्सल
क्या करे , चलते है , तो वर्धा के बापू आड़े आ जाते है

विदर्भ वाले राष्ट्र संत बड़े अजीब और गरीब होते है
गाडगे, तुकड्या जैसे नाम से भी वे सदा संतुष्ट होते है
कभी नग्न रह कर गरीबीमे चिलम का दम मारते है
शेगाव के गजानन और टाकली के विकटु भी यही होते है

ये विदर्भ वाले लोग अधिकतर शांत और शोषिक होते है
हर तरफ से आने वाले लोगोका नागपुर में स्वागत करते है
सत्य हिन्दू धर्म की राह चलते है, बुद्ध धम्म की नयी राह पकड़ते है
पर उतर आये विदर्भ की गरम मिटटी पर तो अतड़िया निकलते है

ये विदर्भ वाले अजीब लोग होते है मुंबई की मार सालो साल सहते है
सौतेले वेवहार पर भी निभा कर ले जाते है, कभी सी एम् बन जाते है
अलग विदर्भ की मांग भी उठाते है , पर राजकारण में मार खाते है
पर जिजाऊ , शिवाजी के खातिर माय मराठी पर जान भी देते है

#जनसेनानी #Jansenani कल्याण
२९ मई , २०१८

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